परीक्षा विभाग
स्वतन्त्रता-आन्दोलन में जो भूमिका अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की रही, वही राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के विकास में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की रही है। इसी सिद्धान्त को अपनाकर सम्मेलन विगत लगभग ९४ वर्षों से अपनी विभिन्न परीक्षाओं के माध्यम से सम्पूर्ण देश एवं विदेशों में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का कार्य कर रहा है।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रथमा, मध्यमा (विशारद), उत्तमा (साहित्यरत्न) परीक्षाएँ संचालित करता है। विगत कुछ वर्षों से सम्मेलन ने संगीत परीक्षाओं के अन्तर्गत संगीत प्रवेश, संगीत विशारद, संगीतरत्न, संगीत मार्तण्ड आदि परीक्षाओं का संचानल प्रारम्भ कर दिया है, जिसमें लिखित तथा क्रियात्मक दोनों विधाओं की व्यवस्था की गयी है।
उपर्युक्त सभी परीक्षाएँ सम्पूर्ण भारत के अतिरिक्त मॉरिशस, थाईलैण्ड, आदि देशों में सम्मेलन द्वारा अधिकृत केन्द्रों पर सम्पन्न करायी जाती हैं। केन्द्रों की संख्या संवत् २०६४ (सन् २००७) में ८५१ थी।
‘सम्मेलन’ की विभिन्न परीक्षाओं को केन्द्र सरकार की प्रेस विज्ञप्ति संख्या एफ-७-५०/६९/एन-१, दिनांक १८ फरवरी १९७० के अनुसार प्रथमा को एस० एल० सी०, मध्यमा को बी०ए० तथा उत्तमा साहित्यरत्न को बी० ए० (आनर्स) के समकक्ष स्थायी मान्यता प्रदान की गयी है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारों ने ‘सम्मेलन’ की इन परीक्षाओं को विभिन्न स्तर की मान्यता प्रदान की है।
देश की अनेक विश्वविद्यालयों यथा-लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊः आगरा विश्वविद्यालय, आगराः डॉ० राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, फैजाबाद; कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुरः गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, हेमवतीनन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वालः मदुराई यूनिवर्सिटी, मदुराई, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला, पं० रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर आदि ने ‘सम्मेलन’ की मध्यमा एवं उत्तमा (साहित्यरत्नं) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को क्रमशः अपने यहाँ बी०ए० एवं एम०ए० में प्रवेश की सुविधा प्रदान की है।
सम्प्रति मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, भारत सरकार, डिपार्टमेण्ट ऑफ सेकेण्डरी एण्ड हायर एजूकेशन नई दिल्ली की अधिसूचना संख्या एफ-२४-४/२००१ टी० एफ० ।।। के तारतम्य में ‘सम्मेलन’ की प्रथमा परीक्षा को पूर्ण रूप से मैट्रिक / हाईस्कूल के समकक्ष मान्यता प्रदान की गयी है तथा इसकी प्रतिलिपि विभिन्न राज्यसरकारों के शिक्षा विभाग तथा समस्त विभागों को प्रेषित की गयी है। मान्यता सम्बन्धी इसी अधिसूचना के क्रम में वायुसेना, नौसेना तथा भारतीय रिजर्व बैंक में नियुक्तियाँ प्रदान की जा रही हैं। इस मान्यता की अवधि २०१० तक बढ़ा दी गयी है। सम्मेलन शोधोपाधि से सम्बन्धित ‘साहित्यमहोपाध्याय’ शोध-परीक्षा का भी संचालन करता है।
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हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने तथा हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यापक प्रचार करने के उद्देश्य से नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने वैशाख कृष्ण ७, संवत् १९६७, तदनुसार १ मई, १९१० ई० को एक बैठक में अखिल भारतीय स्तर पर एक साहित्य-सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया था।