प्रबन्ध विभाग
प्रबन्ध-विभाग सम्मेलन की प्रशासन-व्यवस्था का प्रमुख माध्यम है। इसी विभाग के माध्यम से सम्मेलन के समस्त क्रिया-कलाप चरितार्थ होते हैं और सभी अधिकारी सम्मेलन की प्रत्येक गतिविधि का नियन्त्रण, नियमन और संचालन करते हैं। सम्पूर्ण देश में बिखरी सम्मेलन की गतिविधियों एवं सम्पत्ति का संचालन भी यही विभाग करता है। कार्यालय में स्थित समस्त सम्पत्ति, भवन, फर्नीचर आदि की सुरक्षा, मरम्मत, निर्माण और कर्मचारियों की नियुक्ति, वियुक्ति, अवकाश, वेतन आदि का विवरण रखना तथा बाहर से आये हुए अतिथि-अभ्यागतों के आदर-सत्कार की व्यवस्था भी प्रबन्ध- विभाग ही करता है।
हिन्दी-जगत् का सर्वोच्च सम्मान मंगलाप्रसाद पारितोषिक तथा डॉ० प्रभात शास्त्री-सम्मान’ आदि का संचालन भी इसी विभाग की ओर से होता है। भवन-निर्माण, जल-सम्भरण, विद्युत् आपूर्ति एवं सम्बद्ध संस्थाओं और विद्यालयों को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था यही विभाग करता है।
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हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने तथा हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यापक प्रचार करने के उद्देश्य से नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने वैशाख कृष्ण ७, संवत् १९६७, तदनुसार १ मई, १९१० ई० को एक बैठक में अखिल भारतीय स्तर पर एक साहित्य-सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया था।