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अर्थ विभाग

हिन्दी साहित्य सम्मेलन के समस्त व्यय एवं आय का विवरण अर्थ-विभाग रखता है। वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में पूरे वर्ष का आय-व्ययक तैयार कर उसका कार्यान्वयन इस विभाग द्वारा किया जाता है। वर्ष के अन्त में आय-व्यय का स्थिति- विवरण बनाकर लेखा परीक्षक द्वारा इसका परीक्षण कराया जाता है। डाकघर, बैंक एवं जमापत्रों में जमा सम्मेलन के समस्त धन का हिसाब तथा उसका विनियोग इसी विभाग द्वारा होता है।

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हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने तथा हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यापक प्रचार करने के उद्देश्य से नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने वैशाख कृष्ण ७, संवत् १९६७, तदनुसार १ मई, १९१० ई० को एक बैठक में अखिल भारतीय स्तर पर एक साहित्य-सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया था।

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