साहित्य विभाग
हिन्दी साहित्य सम्मेलन का साहित्य-विभाग सम्मेलन की आत्मा है, जों साहित्यिक गतिविधियों और प्रकाशनों की व्यवस्था कर, गति-संचार करता रहता है। इस विभाग का मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा एवं साहित्य-सम्बन्धी ग्रन्थों के साथ-साथ ज्ञान के अनुपलब्ध और महत्त्वपूर्ण पक्षों के साक्षात्कार हेतु कृतियों के प्रकाशन-सम्बन्धी कार्यों को सम्पादित करना है। ‘साहित्य-विभाग’ की प्रकाशन योजनाओं का विनिश्चयन ‘साहित्य समिति’ करती है। इस विभाग को सतत गतिशील बनाये रखना साहित्यमन्त्री का दायित्व है। साहित्य-विभाग द्वारा प्रकाशित शोध त्रैमासिक सम्मेलन-पत्रिका विगत ९२ वर्षों से निरन्तर प्रकाशित हो रही है।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन् १८७३ में सम्पादित ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ पत्रिका के सभी दुर्लभ अंकों को एकत्र करके यथावत् पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया है। गत वर्ष एक नये ग्रन्थ का प्रकाशन किया गया, जिसमें भारतेन्दु-काल के हिन्दी गद्य की विभिन्न विधाओं का वह साहित्य, जो अब तक अगवेषित, अज्ञात, अल्पज्ञात, विस्मृत या उपेक्षित रहा है, का अध्ययन-अनुशीलन प्रथम बार किया गया है।
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हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने तथा हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यापक प्रचार करने के उद्देश्य से नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने वैशाख कृष्ण ७, संवत् १९६७, तदनुसार १ मई, १९१० ई० को एक बैठक में अखिल भारतीय स्तर पर एक साहित्य-सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया था।